हर पुत्र की इच्छा

 हम जैसे मिडिल क्लास वाले लड़के बाप को गले नहीं लगाते..बाप के गालों को नहीं चूमते और न ही बाप की गोद में सर रख कर सुकून से सोते हैं...हमारा पिता और पुत्र का संबंध हमेशा मर्यादित होता है....


जब कभी बाहर होते है. या बाहर रहते है..तब अक्सर जब घर पर फोन करते हैं तो हमेशा बात मां से होती है..पीछे से कुछ दबे-दबे शब्दों में पिताजी भी कुछ कहते हैं, सवाल करते हैं या सलाह तो देते ही हैं....


और पिता जी की तबीयत से लेकर उनके सारे हालचाल भी माँ से ही पूछते है..


जैसे बचपन में कहीं चोट लगने पर मां से लिपट कर रोते थे...वैसे ही युवावस्था में लगी ठोकरों के कारण अपने पिता से लिपट कर रोना चाहते हैं...अपनी और अपने पिता की चिंताएं आपस साझा करना चाहते हैं..परन्तु ऐसा हम कभी नहीं कर पाते....


बाप और बेटे शुरुआत से ही एक दूरी में रहते हैं, दूरी अदब की, लिहाज की, संस्कार की या फिर जनरेशन गैप की कह लो... हर बेटे का मन करता है कि वो इन दूरियों को लांघता हुआ जाए और अपने बाप को गले लगा कर बाप से कहे की हम तुमसे बेइंतहा और बेशुमार प्यार करते है... 😔🙂



उनके गले लगना आज भी पहली इच्छा है उनके साथ खड़े होकर फोटो खिंचवाना आज भी पहली इच्छा है ❤️

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