ईश्वर सब देखता है "आप कैमरे की नजर में है"
जीवन के अनजान रास्तों पर कब कहां कौन कैसे मिल जाए ये तो केवल भगवान ही जानता है मगर क्या हो अगर भगवान खुद ही साक्षात मिल जाये। तुलसीदास जी का एक दोहा याद आ जाता है :- तुलसी या संसार में, सबसे मिलिए धाय, न जाने किस रूप में, नारायण मिल जायें। एक दिन सुबह सुबह दरवाजे की घंटी बजी । दरवाजा खोला तो देखा एक आकर्षक कद- काठी का व्यक्ति चेहरे पे प्यारी सी मुस्कान लिए खड़ा है । मैंने कहा, "जी कहिए.." तो उसने कहा, अच्छा जी, आप तो रोज़ हमारी ही गुहार लगाते थे, मैंने कहा "माफ कीजिये, भाई साहब ! मैंने पहचाना नहीं, आपको..." तो वह कहने लगे, "भाई साहब, मैं वह हूँ, जिसने तुम्हें साहेब बनाया है... अरे ईश्वर हूँ.., ईश्वर.. तुम हमेशा कहते थे न कि नज़र मे बसे हो पर नज़र नही आते.. लो आ गया..! अब आज पूरे दिन तुम्हारे साथ ही रहूँगा।" मैंने चिढ़ते हुए कहा, ये क्या मज़ाक है?" "अरे मज़ाक नहीं है, सच है। सिर्फ़ तुम्हे ही नज़र आऊंगा। तुम्हारे सिवा कोई देख- सुन नही पायेगा, मुझे।" कुछ कहता इसके पहले पीछे से माँ आ गयी.. "अकेला ख़ड़ा- खड़ा क्या कर रहा है यहाँ, चाय तैयार है , चल...